कानपुर न्यूज डेस्क: स्टेम सेल थेरेपी ने 18 साल के अनिकेत की जिंदगी में नई रोशनी भर दी है। थाइसिस बलबाई रोग के कारण उसकी बाईं आंख की रोशनी पूरी तरह चली गई थी, जिससे उसकी पढ़ाई भी बाधित हो गई। हाई स्कूल के बाद दो साल तक वह आगे नहीं बढ़ सका, लेकिन अब आत्मविश्वास के साथ फिर से अपने सपनों की ओर कदम बढ़ा रहा है। सोमवार को हैलट अस्पताल की नेत्ररोग ओपीडी में जांच कराने आए अनिकेत ने बताया कि अब उसने इंटर साइंस से शुरू कर दी है और बीटेक करके इंजीनियर बनने का इरादा किया है।
अनिकेत को पहले से जेनेटिक रुमेटॉयड आर्थ्राइटिस की समस्या थी, जिसकी वजह से उसकी आंख में थाइसिस बलबाई रोग विकसित हो गया। इस बीमारी में आंख का एक्वा प्रोडक्शन यानी पानी बनाने की क्षमता खत्म हो जाती है, जिससे आंख पिचकने लगती है और रोशनी चली जाती है। यह दुनिया में लाइलाज नेत्र रोगों में गिना जाता है। नवंबर 2020 में जब अनिकेत की आंख अचानक लाल और दर्दनाक हो गई, तो धीरे-धीरे उसकी रोशनी कम होने लगी। आंख का प्रेशर जीरो होने से उस पर कोई नया लेंस भी नहीं लगाया जा सकता था। लेकिन 3 अक्टूबर 2023 को जब उसने स्टेम सेल थेरेपी ली, तो आंख का प्रेशर बढ़ने लगा और 16 मार्च 2024 को नया लेंस लगने के बाद उसकी आंख का आकार भी सामान्य होने लगा और रोशनी वापस आने लगी।
नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. परवेज खान के अनुसार, थाइसिस बलबाई को अब तक लाइलाज माना जाता था, लेकिन स्टेम सेल थेरेपी ने इसमें चमत्कारी प्रभाव दिखाया है। विश्व चिकित्सा साहित्य में इस बीमारी के सफल इलाज का जिक्र नहीं है, लेकिन अनिकेत की आंख में स्टेम सेल थेरेपी के बाद एक्वा प्रोडक्शन फिर से शुरू हो गया, जिससे उसकी आंख उभर आई और रोशनी भी लौटने लगी। अनिकेत के पिता श्याम बाबू शिक्षक हैं और वह एफएम कॉलोनी में रहते हैं। दो साल की पढ़ाई का गैप आने के बावजूद अनिकेत अब इसे पूरा करने की कोशिश कर रहा है, ताकि वह अपने इंजीनियर बनने के सपने को साकार कर सके।